Wednesday, October 6, 2010

पहाड़ पर

पहाड़ पर
भूल  नहीं  पाती
पहाड़ पर  बितायी  एक शाम
घाटियों में घिरती धुंध
हवाओं पर लिखा तुम्हारा नाम......
दूर-दूर तक फैला
हरियाला  आँचल
कल्पना लोक में उड़ चला
मन पाखी चंचल
पहाड़ से उतर आई
लेकर  पहाड़  की  यादें तमाम......
आँखों  में  बसी हैं
पहाड़  की  ऊँची चोटियाँ
खुशबू से महकती घाटियाँ
घुमावदार  पगडंडियाँ
पहाड़ का खुशनुमा मौसम
जोड़ता  कितने  रिश्ते  अनाम......
पहाड़ की धूप चटकीली

लगे साँझ दीवाली सी

सड़कें सैलानियों से गुलजार

बर्फीले मौसम में खाली सी

झरने  बहते-बहते  कहते

कितनी कहानियाँ गुमनाम......।

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