शब्द
शब्दों की महिमा अपार
शब्दों से बनते विचार
शब्दों से बनता शब्द-कोश
शब्दों से बनता तुमुल घोष
शब्द बनते माध्यम संप्रेषण का
शब्द सुनाते गीत सृजन का
शब्द बनाते अरि को भी मीत
शब्द मिटाते बरसों की प्रीत
शब्दों से कोई बड़बोला बन जाता
शब्दों से कोई मिठबोला बन जाता
शब्द सुनकर ही उपजे ज्ञान
शब्दों से बनती अपनी पहचान
शब्दों से बनता है साहित्य
शब्दों का विनिमय होता नित्य
शिशु के शब्दों से माँ होती प्रमुदित
वात्सल्य उमड़ता,होती सृष्टि आनंदित
शब्द प्रेम का मन के तारों को सहलाए
शब्द स्नेह का बूढ़े मन को भी बहलाए
संबंध बनते शब्दों के ताल-मेल से
रिश्ते कटु हो जाते,शब्दों के अनमेल से
संवेदना के शब्द मन की व्यथा मिटाये
शब्दों के तीर हृदय को छलनी कर जाये
श्री महावीर जी के शब्दों ने अलख जगाया
सदियाँ बीतीं पर कोई उनको भूल न पाया
समय शिला पर शब्द लिखते इतिहास
हर मौसम,हर उत्सव में शब्दों का उल्लास
मानस को प्लावित करती शब्दों की धारा
शब्द बिना है अर्थ हीन जीवन सारा
शब्द ठहर जब जाते हैं
सभी सहमे से रह जाते हैं
जिनके पास न शब्दों का संसार है
सूनी है उनकी दुनिया, वह वेवस, लाचार है
शब्द संपदा है अनमोल, व्यर्थ न इसे गँवाना
तोल-तोल कर बोलना, शब्द-शब्द सँवारना…… ।
जिनके पास न शब्दों का संसार है
ReplyDeleteसूनी है उनकी दुनिया, वह वेवस, लाचार है
bahut achchhi bat kahi..achchha laga aap ke blog par aakar