पवन!
तुम जाना उस देश
जहाँ रहता मेरी गोदी का लाल
आशीष सजाना उसके शुभ्र ललाट पर
कहना! तुम बिन माँ-बाबू कंगाल!
पवन!
नि:शब्द झरोखे से जाना
मेरी वृद्धा माँ की खाट के पास
कहना! मजे में है तुम्हारी बिटिया
बापू को याद कर न हो उदास!
पवन!
तुम चित्रकार के घर जाना
कहना! एक ऐसा चित्र बनायें
जिसमें दिखे अपने स्वप्नों की छवि
जिसे देख-देख कर नयन जुड़ायें!
पवन!
शिल्पी के द्वार पर जाना
कहना! ऐसा सुंदर एक भवन बनायें
जिसमें माता-पिता, परिवार का हो स्थान
कई पीढियाँ प्रेम से जिसमें रह जायें!
पवन!
तुम जाना न्यायाधीश के बंगले पर
पूछना! जिन पर होता प्रतिदिन अन्याय
जो नहीं जानते अर्जी लिखना,मुकदमा लड़ना
क्या किसी उपाय; मिल सकता उनको न्याय ?
पवन!
सहलाना गुलाब की पँखुरियों को
भीनी सी खुशबू समेट कर लाना
खिलौना टूटने पर रोया था जो अभी-अभी
उस बालक की साँसों में सुगंधि भर देना........!
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