Wednesday, October 6, 2010

प्रीत की अभिव्यक्तियाँ

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प्रीत की अभिव्यक्तियाँ

शब्दावली पर आश्रित रहीं कब
प्रीत  की  अभिव्यक्तियाँ !
नयन कह जाते प्रीत की भाषा
लगीं हों चाहे कितनी पाबंदियाँ !
भरी सभा के बीच चुहल सुन
बिहारी की नायिका लजियाती
लाज  भरे  लोचन से  लाजो
अनकहा बहुत कुछ कह जाती !
कवि ने मेघदूत रच डाला
बादल ले चले प्रेम संदेस
हवाओं में सुरभि प्रीत की
बही जो सीमा पार विदेस !
चातक  सा  प्यासा  प्रेमी
इत-उत उड़ता  आकुल-व्याकुल
स्वाति की बूँद मिल जाती
स्वत: खिल जाते मन के वकुल!
मुकुल, पुष्प, पल्लव, द्रुम, लताएँ
भँवरे, तितली, शुक, काग, कपोती
प्रेमियों  का  मन  जीता  सबने
पहुँचाई  प्रिय को  प्रिय की पाती!
पद्मावती  की  प्रेम-कथा में
हीरामन शुक की मुख्य भूमिका
प्रेम से परमेश्वर मिल जाता
वहाँ न कोई  काम  अहम् का!
अनोखी  प्रेम  की दुनिया
निराली इसकी अभिव्यक्तियाँ
धरा-गगन के बीच प्रकृति
हँस-हँस करती  अठखेलियाँ
त्वरित संचार हो या सबकुछ
पल में ध्वस्त हो जाये
प्रेम की भावना शाश्वत जग में
कोई न इसे मिटा पाये ।

7 comments:

  1. यही तो प्रेम का स्वरूप है……………।बेहद उम्दा प्रस्तुति।

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  2. सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.

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  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना|

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  4. अति सुन्दर कृति। शुभकामनाएं!

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  5. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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  6. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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